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Thursday 8 August 2013

हरियाली तीज की हरियाली शुभकामनाएं :) :)

हरियाली तीज की शुभकामनाएं .......
क्यूँ मानते हैं हरियाली तीज ? ..... !!!

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि को विवाहित महिलाएं हरियाली तीज के रुप में मनाती हैं। यह समय है जब प्रकृति भी अपने पूरे शबाब में होती है, बरसात का मौसम अपने चरम पर होता है और प्रकृति में सभी ओर हरियाली होती है जो इसकी खूबसूरती को दुगुना कर देती है। इसी कारण से इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं।

परंपरा के अनुसार तीज सभी पर्वों के शुरुआत की प्रतीक मानी जाती है। आ गई तीज बिखेर गई बीज, आ गई होली भर गई झोली कहावत के आधार पर तीज पर्व के बाद त्यौहारों का शीघ्र आगमन होता है और यह सिलसिला होली तक चलता है। इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं. विवाहित महिलाएं इसे अपने सुखी और लंबे विवाहित जीवन के लिए करती हैं।

किंवदंती है कि पुरातन समय में देवी पार्वती एक बार अपने पति भगवान शिव से दूर प्रेम विरह की गहरी पीड़ा से व्याकुल थीं। इस तड़प के कारण देवी पार्वती ने इस व्रत को किया था। पार्वती जी इस दिन पति परमेश्वर के प्रेम में इतनी लीन हो गईं कि उन्हें न खाने की सुध रही है और न पीने की। इस तरह वह पूरे 24 घंटे व्रत रहीं और इस व्रत के फल के रूप में उन्हें अपने पति का साथ पुनः प्राप्त हुआ। तब से इस दिन स्त्रियां अपने सुहाग के लिए उपवास रखकर मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद मांगतीं हैं।

श्री राधे - श्री कृष्णा 
आचार्य डॉ . संतोष उपाध्याय " संतोषी जी "

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