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Tuesday 15 November 2011

शनि देव का राशि परिवर्तन :- कैसा है आप के लिए ?

मेष :- 
पत्नी से दूरी 
जीवन साथी से वैचारिक मतभेद दे सकते हैं 
आध्यात्मिकता में रूचि जागेगी
विदेश यात्रा संभव है , अकस्मात् आर्थिक संकट 
  • ११ शनिवार के व्रत अवश्य करे 
  • काले रंग से परहेज करे 

वृष :- 
कोर्ट केस संभव है , ननिहाल से सम्बन्ध अब समाप्त समझें , अचानक धार्मिकता में जागने वाली रूचि शुभ नहीं है , पत्नी से अचानक दूरी की नौबत आ सकती है 
कोई अचल संपत्ति बिक सकती है 
भाई के साथ पुराना चला आ रहा विवाद समाप्त होगा 
  • पीपल के ११ परिक्रम्मा रोज शाम को करे 
  • सरसों के तेल का दान शुभ होगा 
मिथुन :- 
संतान का सुख निश्चित है , प्रेमी प्रेमिका के बीच सम्बन्ध ख़तम हो जायेगा 
संतान से खुशखबरी , संतान के विवाह के प्रबल योग, दादा बन ने की ख़ुशी 
वाहन का सुख , नौकर चाकर का सुख , अचल संपत्ति का भयानक लाभ 
गुप्त धन की प्राप्ति , बच्चो को सिक्षा में उन्नति , इंजीनियरिंग के क्षत्रों को विशेष सफलता 
  • नीलम और पन्ना जल्दी से जल्दी गले में धारण करे 
  • एक नीम का वृक्ष लगायें 
कर्क :- 
माँ के स्वष्ट की चिंता, पिता से वैचारिक दूरी 
स्त्री को सौतन का दुःख , मानसिक कस्ट निश्चित है 
भवन और वाहन का सुख , पुराने घर के बिकने के प्रबल योग 
बच्चों को अज्ञात चोट आदि का भय 
  • सरसों के तेल का दान करे 
  • पीपल के वृक्ष का दान किसी धार्मिक स्थल पे करे  
सिंह :- 
पुराणी चली आ रही समस्या का अंत, बिमारियों से मुक्ति 
तलाक का केस फाईनल  हो जायेगा , दोस्तों से सावधान रहे, धोखा मिलेगा, 
प्रेमी प्रेमिका के सम्बन्ध निश्चित तौर पे टूट जायेंगे , सतर्क रहे 
विद्यार्थी को सिक्षा में सफलता के पूर्ण योग , नेताओं को सफलता 
  • शनिवार को अपने शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करे 
  • गौ मूत्र का सेवन आवश्यक है 
कन्या :- 
वाणी एकदम से रुखी हो जाएगी, जिसके कारन आप के अपने लगेगा की दूर होते जा रहे हैं 
अचानक धन का अप्वय्य बढ जायेगा , रिश्तों में खटास बढेगी , शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी 
विद्यार्थियों को उच्च सिक्षा के अवसर मिलेंगे , विदेश की यात्रा संभव है 
वृद्धों को शारीरिक सुख की प्राप्ति होगी , मनचाहा वर - वधु की प्राप्ति संभव है 
  • कच्चा कोयला जल प्रवाहित करे 
  • काजल का दान किसी विधवा महिला को करे 
तुला :- 
वाहन, अचल संपत्ति का विशेष लाभ , पिता से वैचारिक दूरी , माता सुख उत्तम 
स्वाश्थ में विशेष लाभ , पुराणी चली आ रही समस्या का अंत , अकस्मात् होने वाले नुक्सान से बचाव 
जीवन साथी / संगिनी से निश्चित तौर पे अलगाव की संभावना " सतर्कता आवश्यक " !!
  • नीलम एकदम न पहने 
  • शनिवार को खिचड़ी खाए , मदिरा सेवन से दूरी रखे 
वृश्चिक :- 
लम्बी यात्रा में नुक्सान की संभावना , विदेश से शुभ सन्देश की पर्पटी 
नयी जगह / मनचाही जगह सथानान्तरण , अधीनस्थ अधिकारी से मतभेद 
स्वाश्थ हनी की प्रबल सम्भावना, सतर्कता आवश्यक , धनहानि, आय कम , व्ययी अधिक 
विवाह में विलम्ब, बने हुए काम भी बिगड़ जायेंगे , आलस्य की अधिकता, हर किसी पे शक करेंगे 
परायी स्त्री / पुरुष से सद्भाव बनाये , अन्यथा बुरी तरह बदनामी के शिकार भी होंगे , अचानक क्गोत. दुर्घटना अकी संभावना 
  • सरसों के तेल में अपनी छाया देखकर दान करे !
  • काले तिल जल में डाल कर स्नान करे !
धनु :- 
अप्रत्याशित रूप से धन लाभ के अवसर , विदेश से भी धन लाभ के अच्छे अवसर 
पिता से अचानक दूरी , राजदंड की सम्भावना ( कोर्ट केस ) आदि, अचल संपत्ति का सुख, 
परिवार में नए सदस्य का आगमन , सिक्षर्थियों को विशेष लाभ , सम्मान- पुरस्कार प्राप्ति के अवसर 
प्रेमिका / प्रेमी की प्राप्ति और विछोह 
  • लोहे के बर्तन का दान हर अमावश्या को करे 
  • पत्नी / प्रेमिका को कुछ उपहार अवस्य दिया करे 
मकर :- 
राज्य पक्ष से तत्काल सम्मान, मंत्री पद की प्राप्ति, नए व्यापारिक अनुबंद 
रुके हुए धन की प्राप्ति , लोटरी से धन लाभ , नए अनुसंधान को जन्म 
नए पुस्तक लेखन के माध्यम से भी धन लाभ, लाभ के विभिन्न अवसर पारपत 
विदेश में भी सम्मान मिलेगा , सबसे शुभ फल इसी राशी के लिए है 
परिवार में सामजस्य में मुस्किल 
  • नीलम, पन्ना , हीरा धारण करे 
  • शुक्रवार का व्रत अवश्यक है 
कुम्भ :- 
धार्मिकता में अचानक रूचि , वैराग्य की तरफ रूझान 
अतीन्द्रिय ज्ञान की वृद्धि , पूर्वानुमान की सत्यता , प्रेमिका / प्रेमी के मिलन का अंत 
दाम्पत्य सुख में वृद्धि , ससुराल में खटपट , जमीन - जायदाद के कार्यों में निबटारा 
विद्यार्थी वर्ग में लाभ के अवसर, नए कार्यों का शुभारंम्भ 
  • पीपल के पाटों की माला शिव को हर सोमवार 
  • दूध का दान जरूरतमंद को करे 
मीन :- 
अचानक स्वाश्थ हानी, आर्थिक छति, मित्रों पर खर्च की अधिकता 
पत्नी के भी स्वास्थ की घोर चिंता , कर्ज की नौबत , खर्च की अधिकता 
चलता हुआ व्यापार रुक जायेगा , पिता से दूरी बन जाएगी 
विर्ध्यार्थियों के लिए भी सिक्षा में अरुचि , यात्रा में नुक्सान 
  • गुरूवार का १०८ व्रत का संकल्प लें 
  • हर शनिवार को कुछ खाने की वस्तुयों का दान श्मशान घाट पर करे 

Sunday 30 October 2011

Visit For Mumbai

मुम्बई वालो के लिए खुशखबरी :- 
वहाँ आप हमसे सीधे मिलकर अपने जीवन से जुडी समस्याओं क समाधान जान सकते हैं !
Appointment के लिए कृपया तत्काल सम्पर्क करे !
Miss Pragya :- +91-9560447000, +91-9999024099
Date :- 05-11-2011, 06-11-2011, 07-11-2011 ( Andheri East ) 

Thursday 27 October 2011

इस भई दूज को बनाएँ खास ... करे एक खस् विधि से पूजन ... भई क मिलेगा पूरा प्यार ....Happy Bhai Dooj


पूजा विधि :- 
  • इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं 
  • उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोद्ती है !
  •  मंत्र बोलती हैं जैसे "गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े" 
  • इसी प्रकार यमराज से भाई के प्रानों कि रक्षा कि कामना बहने करतीं हैं ! 
  • कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं।
  •  भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री खिलाती हैं।
  •  संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। 
  • इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। 
  • इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।

विशेष :- 
  • भई को टिका करते समय सिर्फ मन मे ओम बोल्ती रहें 
  • जो चवाल लगाएँ , उसे पहले हल्दी मे रंग कर सुख लिन 
  • चवाल कि संख्या कम से कम ३ जरूर रहे 
  • टिके मे कसर क प्रयोग जरूर करे 
  • मिस्थान मे मिश्री जरूर होनी चाहिए 

Tuesday 25 October 2011

दीपावली का शुभ सन्देश :-

शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥

... हे दीपज्योति ! तू हमारा शुभ करनेवाली, कल्याण करनेवाली, हमें आरोग्य और धनसंपदा देनेवाली, शत्रुबुद्धि का विनाश करनेवाली है । दीपज्योति, तुझे नमस्कार ! तू परब्रह्म है, तू जनार्दन है, तू हमारे पापों का नाश करती है, तुझे नमस्कार !
........ आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐ ...आचार्य संतोषी " संतोषी " ......

Monday 24 October 2011

माँ लक्ष्मी अब आप के द्वार ,कैसे ? जानने के लिए इसे पढ़ें :-

Goddess Mahalakshmi, Lakshmi, Laxmi, Dipawali, Deepawalee



कार्तिक मास की अमावस्या का दिन दीपावली के रूप में पूरे देश में बडी धूम-धाम से मनाया जाता हैं। 
इसे रोशनी का पर्व भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या को भगवान रामचन्द्र जी चौदह वर्ष का बनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। 
अयोध्या वासियों ने श्री रामचन्द्र के लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशियाँ मनायी थीं, इसी याद में आज तक 
दीपावली पर दीपक जलाए जाते हैं और कहते हैं कि इसी दिन महाराजा विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था।
 आज के दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते है तथा लाभ हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं।  
दीपावली पर जुआ खेलने की भी प्रथा हैं। इसका प्रधान लक्ष्य वर्ष भर में भाग्य की परीक्षा करना है।
 लोग जुआ खेलकर यह पता लगाते हैं कि उनका पूरा साल कैसा रहेगा।
पूजन विधानः दीपावली पर माँ लक्ष्मी व गणेश के साथ सरस्वती मैया की भी पूजा की जाती है। 
भारत मे दीपावली परम्प   रम्पराओं का त्यौंहार है। पूरी परम्परा व श्रद्धा के साथ दीपावली का पूजन किया जाता है। 
इस दिन लक्ष्मी पूजन में माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र की पूजा की जाती है। 
इसी तरह लक्ष्मी जी का पाना भी बाजार में मिलता है जिसकी परम्परागत पूजा की जानी अनिवार्य है।
 गणेश पूजन के बिना कोई भी पूजन अधूरा होता है इसलिए लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन भी किया जाता है। 
सरस्वती की पूजा का कारण यह है कि धन व सिद्धि के साथ ज्ञान भी पूजनीय है 
इसलिए ज्ञान की पूजा के लिए माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
इस दिन धन व लक्ष्मी की पूजा के रूप में लोग लक्ष्मी पूजा में नोटों की गड्डी व 
चाँदी के सिक्के भी रखते हैं। इस दिन रंगोली सजाकर माँ लक्ष्मी को खुश किया जाता है।
 इस दिन धन के देवता कुबेर, इन्द्र देव तथा समस्त मनोरथों को पूरा करने वाले विष्णु भगवान की भी पूजा की जाती है।
 तथा रंगोली सफेद व लाल मिट्टी से बनाकर व रंग बिरंगे रंगों से सजाकर बनाई जाती है।
विधिः दीपावली के दिन दीपकों की पूजा का विशेष महत्व हैं। इसके लिए दो थालों में दीपक रखें। 
छः चौमुखे दीपक दोनो थालों में रखें। छब्बीस छोटे दीपक भी दोनो थालों में सजायें।
 इन सब दीपको को प्रज्जवलित करके जल, रोली, खील बताशे, चावल, गुड, अबीर, गुलाल, धूप, 
आदि से पूजन करें और टीका लगावें। व्यापारी लोग दुकान की गद्दी पर गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा 
रखकर पूजा करें। इसके बाद घर आकर पूजन करें। पहले पुरूष फिर स्त्रियाँ पूजन करें। 
स्त्रियाँ चावलों का बायना निकालकर कर उस रूपये रखकर अपनी सास के चरण स्पर्श करके 
उन्हें दे दें तथा आशीवार्द प्राप्त करें। पूजा करने के बाद दीपकों को घर में जगह-जगह पर रखें। 
एक चौमुखा, छः छोटे दीपक  गणेश लक्ष्मीजी के पास रख दें। चौमुखा दीपक का काजल सब बडे बुढे बच्चे अपनी आँखो में डालें।

दीपावली पूजन कैसे करें


प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब निम्न संकल्प से दिनभर उपवास रहें-
मम सर्वापच्छांतिपूर्वकदीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि-
सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं
गजतुरगरथराज्यैश्वर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्ध्‌यर्थं
इंद्रकुबेरसहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये।


संध्या के समय पुनः स्नान करें।
लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारी में घर की सफाई करके दीवार को चूने अथवा गेरू से पोतकर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं।
 (लक्ष्मीजी का छायाचित्र भी लगाया जा सकता है।)
भोजन में स्वादिष्ट व्यंजन, कदली फल, पापड़ तथा अनेक प्रकार की मिठाइयाँ बनाएं।
लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बाँधें।
इस पर गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें।
फिर गणेशजी को तिलक कर पूजा करें।
अब चौकी पर छः चौमुखे व 26 छोटे दीपक रखें।
इनमें तेल-बत्ती डालकर जलाएं।
फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें।
पूजा पहले पुरुष तथा बाद में स्त्रियां करें।
पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें।
एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर निम्न मंत्र से लक्ष्मीजी का पूजन करें-


नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥


इस मंत्र से इंद्र का ध्यान करें-
ऐरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः।
शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इंद्राय ते नमः॥


इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करें-
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः॥


इस पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेशजी तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें।
तत्पश्चात इच्छानुसार घर की बहू-बेटियों को आशीष और उपहार दें।
लक्ष्मी पूजन रात के बारह बजे करने का विशेष महत्व है।
इसके लिए एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेशजी की मूर्ति रखें। 
समीप ही एक सौ एक रुपए, सवा सेर चावल, गुढ़, चार केले, मूली, हरी ग्वार की फली तथा पाँच लड्डू रखकर लक्ष्मी-गणेश का पूजन करें।
उन्हें लड्डुओं से भोग लगाएँ।
दीपकों का काजल सभी स्त्री-पुरुष आँखों में लगाएं।
फिर रात्रि जागरण कर गोपाल सहस्रनाम पाठ करें।
इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाएँ नहीं।
बड़े-बुजुर्गों के चरणों की वंदना करें।
व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें।
रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरान्त चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) पर
 कंकू से तिलक  करें। (हालांकि आजकल घरों मे ये सभी चीजें मौजूद नहीं है 
दूसरे दिन प्रातःकाल चार बजे उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाते समय कहें 
'लक्ष्मी-लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ'।
लक्ष्मी पूजन के बाद अपने घर के तुलसी के गमले में, पौधों के गमलों में घर के आसपास मौजूद पेड़ के पास दीपक रखें 
और  अपने पड़ोसियों के घर भी दीपक रखकर आएं।


मंत्र-पुष्पांजलि :
( अपने हाथों में पुष्प लेकर निम्न मंत्रों को बोलें) :-
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्‌ ।
तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।
स मे कामान्‌ कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ॥
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः, मंत्रपुष्पांजलिं समर्पयामि ।
(हाथ में लिए फूल महालक्ष्मी पर चढ़ा दें।)
प्रदक्षिणा करें, साष्टांग प्रणाम करें, अब हाथ जोड़कर निम्न क्षमा प्रार्थना बोलें :-


क्षमा प्रार्थना :
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌ ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि ।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम्‌ मम देवदेव ।
पापोऽहं पापकर्माहं पापात्मा पापसम्भवः ।
त्राहि माम्‌ परमेशानि सर्वपापहरा भव ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥


पूजन समर्पण :
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-
'ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्री महालक्ष्मीः प्रसीदतुः'
(जल छोड़ दें, प्रणाम करें)


विसर्जन :
अब हाथ में अक्षत लें (गणेश एवं महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी) 
प्रतिष्ठित देवताओं को अक्षत छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जन कर्म करें :-


यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम्‌ ।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥


ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय...
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय...
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय...
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय...
(आरती करके शीतलीकरण हेतु जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें, पूजा में सम्मिलित सभी लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।)
परमात्मा की पूजा में सबसे ज्यादा महत्व है भाव का, किसी भी शास्त्र या धार्मिक पुस्तक में पूजा के साथ 
धन-संपत्ति को नहीं जो़ड़ा गया है। इस श्लोक में पूजा के महत्व को दर्शाया गया है-
'पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्यु पहृतमश्नामि प्रयतात्मनः॥'
पूज्य पांडुरंग शास्त्री अठवलेजी महाराज ने इस श्लोक की व्याख्या इस तरह से की है
'पत्र, पुष्प, फल या जल जो मुझे (ईश्वर को) भक्तिपूर्वक अर्पण करता है, उस शुद्ध चित्त वाले भक्त 
के अर्पण किए हुए पदार्थ को मैं ग्रहण करता हूँ।'
भावना से अर्पण की हुई अल्प वस्तु को भी भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं। पूजा में वस्तु का नहीं, भाव का महत्व है।
परंतु मानव जब इतनी भावावस्था में न रहकर विचारशील जागृत भूमिका पर होता 
है, तब भी उसे लगता है कि प्रभु पर केवल पत्र, पुष्प, फल या जल चढ़ाना सच्चा पूजन नहीं है। 
ये सभी तो सच्चे पूजन में क्या-क्या होना चाहिए, यह समझाने वाले प्रतीक हैं।
पत्र यानी पत्ता। भगवान भोग के नहीं, भाव के भूखे हैं। भगवान शिवजी बिल्व पत्र से प्रसन्न होते हैं,
 गणपति दूर्वा को स्नेह से स्वीकारते हैं और तुलसी नारायण-प्रिया हैं! अल्प मूल्य की वस्तुएं भी 
हृदयपूर्वक भगवद् चरणों में अर्पण की जाए तो वे अमूल्य बन जाती हैं। पूजा हृदयपूर्वक होनी चाहिए, 
ऐसा सूचित करने के लिए ही तो नागवल्ली के हृदयाकार पत्ते का पूजा सामग्री में समावेश नहीं किया गया होगा न!
पत्र यानी वेद-ज्ञान, ऐसा अर्थ तो गीताकार ने खुद ही 'छन्दांसि यस्य पर्णानि' कहकर किया है। 
भगवान को कुछ दिया जाए वह ज्ञानपूर्वक, समझपूर्वक या वेदशास्त्र की आज्ञानुसार दिया जाए,
 ऐसा यहां अपेक्षित है। संक्षेप में पूजन के पीछे का अपेक्षित मंत्र ध्यान में रखकर पूजन करना चाहिए।
 मंत्रशून्य पूजा केवल एक बाह्य यांत्रिक क्रिया बनी रहती है, जिसकी नीरसता ऊब निर्माण करके मानव को थका देती है
। इतना ही नहीं, आगे चलकर इस पूजाकांड के लिए मानवके मन में एक प्रकार की अरुचि भी निर्माण होती है।

शुभ दीपावली पर माँ लक्ष्मी के पूजन की विधि :-

लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का, लक्ष्मी स्नान के लिए स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक बड़ी व दो छोटी तौलिया। बहीखाते, सिक्कों की थैली, लेखनी, काली स्याही से भरी दवात, तीन थालियाँ, एक साफ कपड़ा, धूप, अगरबत्ती, मिट्टी के बड़े व छोटे दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, शुद्ध जल।

पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण)
मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण)

हल्दी व चूने का पावडर, रोली, चन्दन का चूरा, कलावा, आधा किलो साबुत चावल, कलश, दो मीटर सफेद वस्त्र, दो मीटर लाल वस्त्र, हाथ पोंछने के लिए कपड़ा, कपूर, नारियल, गोला, मेवा, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दुर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, बताशे, खांड के खिलौने, मिठाई, फल, वस्त्र, साड़ी आदि, सूखा मेवा, खील, लौंग, छोटी इलायची, केसर, सिन्दूर, कुंकुम, गिलास, चम्मच, प्लेट, कड़छुल, कटोरी, तीन गोल प्लेट, द्वार पर टाँगने के लिए वन्दनवार। याद रहे लक्ष्मीजी की पूजा में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। धान की खील (पंचमेवा गतुफल सेब, केला आदि), दो कमल। लक्ष्मीजी के हवन में कमलगट्टों को घी में भिगोकर अवश्य अर्पित करना चाहिए। कमलगट्टों की माला द्वारा किए गए माँ लक्ष्मीजी के जप का विशेष महत्व बताया गया है।

ND
पूजन की तैयारी : चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।

दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें। मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएँ।

कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियाँ बनाएँ। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियाँ बनाएँ। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएँ। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें।

लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ। गणेशजी की ओर त्रिशूल, चावल का ढेर लगाएँ। सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ। इन सबके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात व सिक्कों की थैली भी रखें।

छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।

इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

चौकी : (1) लक्ष्मी, (2) गणेश, (3-4) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (5) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (6) नवग्रह, (7) षोडशमातृकाएँ, (8) कोई प्रतीक, (9) बहीखाता, (10) कलम और दवात, (11) नकदी की संदूकची, (12) थालियाँ, 1, 2, 3, (13) जल का पात्र, (14) यजमान, (15) पुजारी, (16) परिवार के सदस्य, (17) आगंतुक।

पूजा की संक्षिप्त विधि : सबसे पहले पवित्रीकरण करें। 

आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।

ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं व वाभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः

अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और माँ पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें-

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नम

अब आचमन करे

पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए- 
ॐ केशवाय नमः

और फिर एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए- 
ॐ नारायणाय नमः

फिर एक तीसरी बूँद पानी की मुँह में छोड़िए और बोलिए- 
ॐ वासुदेवाय नमः

फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंगन्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है।

आचमन आदि के बाद आँखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी साँस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्ति वाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वस्तिन इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है।

संकल्प : आप हाथ में अक्षत, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। यह सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए किमैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो। सबसे पहले गणेश जी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करना चाहिए।

हाथ में थोड़ा-सा जल ले लीजिए और आह्वाहन व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए।

फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए।

इसके बाद षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलहमाताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए।

सोलह माताओं की पूजा के बाद रक्षाबन्धन होता है।

रक्षाबंधन विधि में मौली लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए।

अब आनन्दचित्त से और निर्भय होकर महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए।

Sunday 23 October 2011

राशी अनुसार कौन सा बर्तन है आप के लिए शुभ :- धनतेरस स्पेशल

मेष :-ताम्बे का लोटा घर लायें ,
वृष :-   स्टील का ग्लास ले आयें
मिथुन :- कांसे का एक चम्मच ले आयें
कर्क :- चांदी का कोई वस्तु ले आयें ,या स्टील की कटोरी
सिंह :-   पीतल का लोटा शुभ होगा
कन्या :-कांसे का ग्लास ले आयें
तुला :- स्टील का थाली ले आयें
वृश्चिक :-    ताम्बे का लोटा शुभ होगा
धनु :- पीतल का कोई भी बर्तन ले सकते है
मकर :-कांसे का ग्लास ले आयें
कुम्भ :- लोहे की कढाई ले आयें
मीन :-पीटक की कटोरी महा शुभ होगी

राशिफल २४ अक्टूबर २०११ ( धनतेरस ) !! 24-10-2011 Rashifal


मेष 
जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य मिलेगा
पारिवारिक जनों के बीच सुखद समय गुजरेगा
शुभ अंक- 2
शुभ रंग- हरा



वृष
मनोरंजन के अवसर प्राप्त होंगे
कार्यक्षेत्र में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा
शुभ अंक- 6
शुभ रंग- लाल


मिथुन
शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में सफलता मिलेगी
पारिवारिक जनों से तनाव मिलेगा
शुभ अंक- 8
शुभ रंग- पीला


कर्क
आर्थिक क्षेत्र में किए गए प्रयास सफल होंगे
कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा
शुभ अंक- 3
शुभ रंग- नारंगी









सिंह 
बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा
राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति होगी
शुभ अंक- 5
शुभ रंग- आसमानी


कन्‍या
धन लाभ की संभावना है
वाद विवाद की स्थिति हितकर नहीं होगी
शुभ अंक- 9
शुभ रंग- सफेद


तुला
पारिवारिक जीवन सुखमय होगा
उपहार व सम्मान का लाभ मिलेगा
शुभ अंक- 3
शुभ रंग- जामुनी



वृश्चिक 
राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति होगी
व्यावसायिक दिशा में किए गए प्रयास सफल होंगे
शुभ अंक- 7
शुभ रंग- हरा









धनु
ससुराल पक्ष से लाभ होगा
किसी अभिन्न मित्र या रिश्तेदार से मिलाप होगा
शुभ अंक- 2
शुभ रंग- गुलाबी


मकर
वाणी की सौम्यता आपकी प्रतिष्ठा को बढ़ाएगी
वाहन प्रयोग में सावधानी अपेक्षित है
शुभ अंक- 7
शुभ रंग- नीला


कुंभ
संतान के दायित्व की पूर्ति होगी
रोजी रोजगार की दिशा में प्रगति होगी
शुभ अंक- 4
शुभ रंग- केसरिया


मीन
 जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है
व्यर्थ की भागदौड़ भी रहेगी
शुभ अंक- 9
शुभ रंग-  स्लेटी

Saturday 22 October 2011

Rashifal of 23-10-2011


मेष
शासन सत्ता से मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी
आलस्य न करें
शुभ रंग- सुनहरा
शुभ अंक- 5

वृष
किसी पर अधिक विश्वास न करें
धन का व्यय होगा
शुभ रंग- केसरिया
शुभ अंक- 8

मिथुन
हाथ आए अवसर न चूकें
यात्रा, प्रवास में लाभ मिलने की संभावना
शुभ रंग- हरा
शुभ अंक- 3

कर्क
परिवार के सदस्यों का सहयोग
साझेदारी की समस्या का निराकरण
शुभ रंग- गहरा नीला
शुभ अंक- 9

सिंह
बोलचाल की भाषा में सावधानी जरूरी
विलासिता के प्रति रूझान बढ़ेगा
शुभ रंग- भूरा
शुभ अंक- 2

कन्या
व्यापार में नए प्रस्ताव से समृद्धि
आर्थिक प्रयासों में सफलता मिलने के योग
शुभ रंग- गुलाबी
शुभ अंक- 7

तुला
धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होगी
अधिकारी प्रसन्न रहेंगे
शुभ रंग- आसमानी
शुभ अंक- 1

वृश्चिक
उच्च अधिकारियों से लाभ मिलेगा
अपने काम से काम रखें
शुभ रंग- पीला
शुभ अंक- 4

धनु
आत्मप्रसन्नता का अनुभव होगा
आर्थिक क्षेत्र में सुधार की संभावना
शुभ रंग- बैगनी
शुभ अंक- 8

मकर
बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे
परिवार में खुशी का माहौल रहेगा
शुभ रंग- समुद्री हरा
शुभ अंक- 5

कुंभ 
नए कार्यों में सफलता मिलेगी
व्यापार में वृद्धि होगी
शुभ रंग- लाल
शुभ अंक - 3

मीन
 आपके कार्यों की प्रशंसा होगी
गैरजरूरी वाद-विवाद से बचकर रहें
शुभ रंग- नीला
शुभ अंक- 6