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Tuesday 12 June 2012

Manglik Dosh -


                                      मांगलिक दोष - एक भ्रामक  सत्य "


बेटी  या बेटे के बड़े होते ही , जब उनके विवाह के विचार मन में आने आरंभ होते है , तो सबसे पहले जो बात मन में आती है , वो होती है , कहीं हमारे बच्चे मांगलिक तो नही है ? मांगलिक हैं तो सैकड़ों प्रकार के विचार मन में व्याप्त होने लगते हैं , आखिर क्या होता है ये मांगलिक दोष !! आइये जानते हैं ! शास्त्रों के अनुसार , जब किसी भी जन्मांक ( जन्म कुंडली ) में , मंगल नमक ग्रह , लग्न , चतुर्थ , सप्तम , अस्टम , द्वादश भाव में बैठे तो कुंडली मांगलिक बन जाती है ! अब शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्थिति में बच्चे का विवाह ऐसी की कन्या / पुरुष से होना चाहिए जिसके जन्म कुंडली में मंगल इन्ही भावों में बैठा हो ! नहीं तो अनिष्ट की सम्भावना बनी रहती है ! अनिष्ट होगा तो कैसा, यह कोई विद्वान् जल्दी नहीं बताता ! क्या दोनों लड़ेंगे , क्या आर्थिक  संकट आएगा , क्या स्वाश्थ ख़राब रहेगा , या फिर क्या उनमे से कोई एक अल्पायु होगा ! अक्सर जो डर लोगों के मनों में होता है वह यही होता है की दोनों मेसे किसी एक की आयु पे संकट रहेगा , लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है ! हम इसे एकदम एक सिरे से काट रहे है ! 

आइये बताते हैं मंगल के विषय में कुछ बेहद रोचक तथ्य :- 

मंगल एक ऐसा ग्रह है , 
जिसे ग्रहों का सेनापति माना जाता है  ! अर्थात , यह एक रक्षात्मक ग्रह है , इस से हम रक्षा सुरक्षा प्राप्त करते है !, परन्तु यह अग्नि तत्व प्रधान भी है ! क्रोधी ग्रह भी है  ! अगर कोई बच्चा / बच्ची मांगलिक है , तो सिर्फ इसका एक प्रभाव होगा , की वह किसी भी बात को समझे बिना रीएक्ट करेगा ! जिस से दोनों में कम निभेगी ! अकसर विवाद जन्म लेते रहेंगे ! लेकिन इनमे कई एनी योगों का होना भी अनिवार्य होगा ! ध्यान रहे , ज्योतिष  शास्त्र सदैव योगों पे ही जिन्दा रहता है ! जब तक कोई ग्रह किसी अन्य ग्रह के योग अर्थात  जोड़ में साथ में नहीं आता है , तब तक वह ग्रह अपना पूर्ण फल नही दे सकता ! 

अब आइये जानते हैं मांगलिकता की सच्चाई ... जिसकी कुंडली मांगलिक होगी , मंगल पांच भावों में से कहीं पे भी बैठ हो , उसमे कुछ लक्षण जैसे , अचानक से आक्रामक हो जाना , छोटी छोटी बात पे क्रोधित हो जाना , परिवार से दूर रहने की इच्छा जागृत हो जाना , किसी पे भी एकाधिकार पाने का मन बनाना , अपनी बात को सबसे मनवाने की सोचना आदि जैसे नकारात्मक लक्षण सदैव जागते रहेंगे !याद रहे यहाँ पर हम सिर्फ उन बातों को बता रहे जिनका संबध सीधे तौर पे शादी शुदा जीवन से हैं , क्यूँ की मंगल  अन्य भी बहुत चीजों का करक होता है , लेकिन उनका सम्बन्ध वैवाहिक जीवन से नहीं होता !  अब अगर दूसरा बच्चा भी  मांगलिक रहा तो क्या होगा , कल्पना कीजिये ! यही सरे लक्षण उसके अन्दर भी प्रकट होंगे ! ऐसे में टकराव की सम्भावना कई हजार गुना बढ जाएगी ! दोनों एक दुसरे को देखना भी पसंद नही करेंगे ! दोनों एक दुसरे से तलाक चाहेंगे ! अलग रहना पसंद करेंगे ! खास तौर पे महिला ! लेकिन अगर एक मंगली नहीं होगा तो , निश्चित तौर पे वह कुछ जयादा शांत होगा , मांगलिक वाले से ! वह कई बार चुप चाप डांट सह लेगा , मुस्कुराएगा , समय बीतने का इंतज़ार करेगा , और फिर किसी प्रकार से , कुछ भी करके गाडी चलती रहेगी ! 
अब आप खुद निर्णय लीजिये  की क्या मांगलिक की शादी मांगलिक से ही करनी चाहिए ? क्या दोनों आग रहेंगे तो काम चलेगा ? किसी एक तो निर्मल जल बनना ही पड़ेगा , और निर्मल जल " नॉन मंगली " ही बन पायेगा ! उसी के कंधे पे सारा दारोमदार रहेगा ! 
और हाँ अगर कोई , अल्पायु है तो ये उसका प्रारब्ध है , उसके अपने मारक ग्रह है , किसी के मांगलिक होने से किसी की आयु कम हो जाती है ??????? कितना मुर्खता पूर्ण लगता है सुनने में ही , हाँ इतना जरूर है की दोनों से किसी की भी जन्म कुंडली से ये संकेत मिल जायेगा की उसका जीवन साथी कितनी आयु तक उसके साथ रहने वाला है , ध्यान रहे , सिर्फ जानकारी मिल पाती है  , अब इसे कोई कैसे बदल पायेगा , ये तो भाग्य है , यही तो प्रारब्ध है ! 
यह निर्णय हमने अपने कई वर्षों के शोधों के उपरान्त निकला है ! आज बेहद आवश्यकता है की ज्योतिषी बंधू , नए नए अनुसंधान करे , सिर्फ पुस्तकीय बातें , एकदम गलत साबित होंगी ! शोध सदैव सुद्ध और शुभ होगा ! आशा करेंगे की इस लेख का लाभ जनमानस तक अवश्य पहुंचेगा ! 

By - Acharya Dr. Santosh Upadhyay " Santoshi Ji " 

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