होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
होली की शाम को होलिका का पूजन किया जाता है।
होलिका का पूजन विधि-विधान से करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
होली की पूजन विधि इस प्रकार है-
पूजन सामग्री
रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बड़कुले (भरभोलिए) आदि।
पूजा विधि
एक थाली में सारी पूज सामग्री लें !
पूजन सामग्री
रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बड़कुले (भरभोलिए) आदि।
पूजा विधि
एक थाली में सारी पूज सामग्री लें !
साथ में एक पानी का लौटा भी लें।
इसके पश्चात होली पूजन के स्थान पर पहुंचकर नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुए स्वयं पर और पूजन सामग्री पर थोड़ा जल छिड़कें-
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।
अब हाथ में पानी, चावल, फूल एवं कुछ दक्षिणा लेकर नीचे लिखें मंत्र का उच्चारण करें-
ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे क्रोधी नाम संवत्सरे संवत् 2068 फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि बुधवासरे ----------गौत्र(अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना----------(अपने नाम का उच्चारण करें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।
गणेश-अंबिका पूजन
सर्वप्रथम हाथ में फूल व चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें-
गजाननं भूतगणादिसेवितं
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वरपादपमजम्।।
ऊँ गं गणपतये नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।
अब हाथ में पानी, चावल, फूल एवं कुछ दक्षिणा लेकर नीचे लिखें मंत्र का उच्चारण करें-
ऊँ विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे क्रोधी नाम संवत्सरे संवत् 2068 फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि बुधवासरे ----------गौत्र(अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना----------(अपने नाम का उच्चारण करें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।
गणेश-अंबिका पूजन
सर्वप्रथम हाथ में फूल व चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें-
गजाननं भूतगणादिसेवितं
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वरपादपमजम्।।
ऊँ गं गणपतये नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
- अब भगवान गणपति को एक पुष्प पर रोली एवं अक्षत लगाकर समर्पित कर दें।
ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि।।
- मां अंबिका का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल एवं फूल चढ़ाएं।
ऊँ नृसिंहाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
- भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल व फूल चढ़ाएं।
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
- प्रह्लाद का स्मरण करते हुए नमस्कार करें और पंचोपचार हेतु गंध, चावल व फूल चढ़ाएं।
अब नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुए होली के सामने दोनो हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं तथा अपनी मनोकामनाएं की पूर्ति के लिए निवेदन करें-
असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:।।
अब गंध, चावल, फूल, साबूत मूंग, साबूत हल्दी, नारियल एवं बड़कुले(भरभोलिए) होली के डांडे के समीप छोड़ें।
कच्चा सूत उस पर बांधें और फिर हाथ जोड़ते हुए होली की तीन, पांच या सात परिक्रमा करें।
परिक्रमा के बाद लोटे में भरा पानी वहीं चढ़ा दें।
शुभ मुहूर्त :-
शुभ मुहूर्त :-
- 7 मार्च, 2012 को शाम 05:55 बजे से 8 मार्च को प्रात: 03:11 बजे तक पूर्णिमा रहेगी।
- होलिका दहन पूर्णिमा में किया जाता है।
- लेकिन भद्रा तिथि के शुरुआती 2 घंटों मे पूजन शुभ नहीं माना जाता इसलिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- शाम 8 से 9:30 तक शुभ !
- रात 9:30 बजे से रात 11 बजे तक अमृत योग में !
- रात 11 बजे से 12:30 तक चर
- 09:09 से 11:24 तक (वृश्चिक लग्न में)
...................................................... द्वारा :- आचार्य डॉ. संतोष " संतोषी "
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