पूजा विधि :-
- इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं
- उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोद्ती है !
- मंत्र बोलती हैं जैसे "गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े"
- इसी प्रकार यमराज से भाई के प्रानों कि रक्षा कि कामना बहने करतीं हैं !
- कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं।
- भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री खिलाती हैं।
- संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं।
- इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है।
- इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।
विशेष :-
- भई को टिका करते समय सिर्फ मन मे ओम बोल्ती रहें
- जो चवाल लगाएँ , उसे पहले हल्दी मे रंग कर सुख लिन
- चवाल कि संख्या कम से कम ३ जरूर रहे
- टिके मे कसर क प्रयोग जरूर करे
- मिस्थान मे मिश्री जरूर होनी चाहिए
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